कौन जोड़ेगा चित्र
सब लोग दीपावली की
तैयारियों में व्यस्त थे। माँ मिठाइयाँ बना
रही थीं। बाबा
पड़ोस के बड़े भैया के
सात बाहर के
दरवाजे पर तोरण बाँध
रहे थे।
|
|
सामने वाले पेड़ पर नन्हे नन्हे बल्बों वाली रोशनी कल ही लग गई थी। छत की मुँडेर पर भी दीये लगा दिये गए थे। बस उनको जलाना भर बाकी था। आज शाम को पूजा के बाद बहुत से लोग आने वाले थे। एक बड़ी दावत का इंतजाम जो था।
माँ ने रसोई
का काम पूरा
कर के नन्हे को
आवाज जी, नन्हे जल्दी आओ
पहले तुम्हें नए
कपड़े पहना दूँ, फिर
मुझे भी तैयार होना
है। नन्हें अंदर
आया और नए
कपड़े पहन कर तैयार हो
गया। कितने अच्छे लग
रहे थन नए
कपड़े! नन्हें की पसंद के
जो थे। वह
भाग कर बाहर
आया। लेकिन उसका
पैर चित्र-फलक
में फँस गया।
नन्हें गिर
पड़ा साथ ही
चित्र-फलक पर रखा
चित्र भी गिर गया।
गिरते ही चित्र कई
टुकड़ों में टूट गया।
नन्हें दुखी
हो गया। माँ
टूटा चित्र देखकर नाराज होगी
उसने सोचा। अब
मैं क्या करूँ
सारे मेहमान आने
वाले हैं चित्र टूटा
पड़ा है। नन्हें को
घबराया हुआ देखकर बड़े
भैया बोले, "घबराने की
की बात नहीं
है नन्हें, इसको जोड़ना तो
बहुत ही आसान
है। बस माउस
से क्लिक क्लिक करते
जाओ और यह
जुड़ जाएगा।
दोस्तों, टूटे
हुए चित्र के
सारे टुकड़े नीचे
रखे हुए हैं।
नन्हें तीन साल का
है उसे चित्र जोड़ना नहीं
आता। क्या आप
उसकी सहायता कर
सकते हैं। कोशिश कर
के देखिये अगर
मुश्किल लगे तो ऊपर
वाले चित्र से
मदद ले सकते
हैं।
|
गरम जामुन बहुत समय पहले की बात है, सुंदरवन में श्वेतू नामक एक बूढ़ा खरगोश रहता था। वह इतनी अच्छी कविता लिखता था कि सारे जंगल के पशु्पक्षी उन्हें सुनकर दातों तले उँगली दबा लेते और विद्वान तोता तक उनका लोहा मानता था। श्वेतू खरगोश ने शास्त्रार्थ में सुरीली कोयल और विद्वान मैना तक को हरा कर विजय प्राप्त की थी। इसी कारण जंगल का राजा शेर भी उसका आदर करता था। पूरे दरबार में उस जैसा विद्वान कोई दूसरा न था। धीरे-धीरे उसे अपनी विद्वत्ता का बड़ा घमण्ड हो गया। एक दिन वह बड़े सवेरे खाने की तलाश में निकला। बरसात के दिन थे, काले बादलों ने घिरना शुरू ही किया था। मौसम की पहली बरसात होने ही वाली थी। सड़क के किनारे जामुनों के पेड़ काले-काले जामुनों से भरे झुके हुए थे। बड़े-बड़े, काले, रसीले जामुनों को देखकर श्वेतू के मुँह में पानी भर आया। एक बड़े से जामुन के पेड़ के नीचे जाकर उसने आँखें उठाई और ऊपर देखा तो नन्हें तोतों का एक झुण्ड जामुन खाता दिखाई दिया। बूढ़े खरगोश ने नीचे से आवाज़ दी, "प्यारे नातियों मेरे लिये भी थोड़े
Comments
Post a Comment